Wanna know

April 26, 2020

किस लिए ?


गिला नहीं की प्यार के संग गम दिया,
ख़ुशी के साथ आँखों को भी नम किया
सवाल है कि प्यारी थी जब में तुम्हारे लिए,
कैसे पनपने दी नफरत उसके दिल में मेरे लिए?

दुनिया की नज़रों से बचा के रखने वाले,
तुम को मेरा, मुझको अपना कहने वाले,
क्यों संभाल न सके खुद को, मुझको संभालने वाले,
कैसे छोड़ दिया मुझे सैलाब में बह जाने के लिए?

रोक न सके तुम तूफ़ान को बढ़ने से पहले
अब कहर के ठहर जाने की बात करते हो,
नफ़रत करने वालो की क्या कमी थी
जो जोड़ दिया एक और को सह जाने के लिए?

इस लिए 

छुपी नहीं मज़बूरी मेरी कुछ भी तुमसे 
पुरानी कड़ियाँ टूटती नहीं, नई जुड़ने से 
पढ़ लेती हो बिन कहे यु तो हर मन को मेरे, 
फिर भी सवाल हैं, जवाब दे रहा हूँ इसलिए 

सजा मिल रही है उतनी ही मुझे भी, 
बह रहा हूँ उसी सैलाब में असहाय मैं भी 
ये एहसास तुमसे बिलकुल जुदा नहीं, 
प्यार है, नफरत का ज़हर पी रहा हूँ इसलिए 

संजोग नहीं होता दो दिलों का जुड़ना, 
बिना बात के अनूठे बंधनो में बंधना 
जैसा है खुद पे, विशवास रखना है खुदा पे भी  
मिलाया है उसने हमें किसी खास वजह के लिए. 




April 17, 2020

एहसास


कितना खास था वो एहसास ,
जैसे हो खुद से मिलने का आभास ।

खामोश से थे तुम, चुप सी मैं ,
बातें न शब्दों में, न ही आँखों से।

साँसे थी साँसो में घुली हुई ,
पर ऐसे, की न बढ़ी न ही थमी हुई ।

अनजान नहीं, तो पहचान भी खास नहीं ,
पर एक दूसरे को, जानने का भी प्रयास नहीं ।

मिली हो मानो , एक दूजे की धड़कन,
सानिध्य की स्वीकृति देता मेरा अंतर्मन।

कुछ तो झिझक थी , था कुछ मीठा सा डर,
मैं जिसे खोजती रही , शायद वही थी ये डगर।