Wanna know

August 30, 2018

मासूम बचपन


बचपन क्यों इतना मासूम है।
क्या अच्छा,क्या बुरा, क्यों नहीं इसे मालूम है।

दोस्ती, मौजें,खिलौने ही इनकी चाहते हैं,
रोटी कपड़ा ,मकान, कहां इनकी आफ़ते हैं।

अच्छा है ये इन सब से बेख़बर है,
इनकी सपनों की दुनिया भी एक विचित्र नगर है।

जिसमें चंदा इनके मामा है, तो सूरज पार इनको जाना है।

कुछ पल इनके साथ जो बीता दिए हमने ,
इनके लिए तो वही एक बहुमूल्य खजाना है।

काश फिर से हम बच्चे बन जाते,
रोज़ कुल्फी और गुड़िया के बाल खाते।

बचपन  जि़ंदगी का वह पन्ना है,
जो अगर फिर से खुल जाए तो लगे नहीं पलटना है।
बस इसी को बार बार जीते रहना है।।

बच्चों को जब देखती हूँ, बच्चों में तब जीती हूं।
बचपन मेरा लौट आता है, मीठी यादों में खो लेती हूं।

तब लगता है यह कोई सुहाना सपना है,
बस इसी को बार बार जीते रहना है।

कवयित्री: ऋचा गांग 



June 10, 2018

नानीसा आप हो खास


नानीसा आप हो खास, रहते दिल के पास!

न करना क्रोध, लोभ, या फिर मोह माया,
अनमोल मूल्यों को कहानियों में पिरोया!
उतार दी जीवन मे, सरलता से बाते ख़ास,
नानीसा आप हो खास, रहते दिल के पास!!

इन्द्रियों पे सयंम,  कर त्याग और बलिदान,
द्रढ़ निश्चयी हो आप, प्रेरणास्पद  तपस्वी महान !
भजते भजते तेला करा दिया, हुआ न आभास,
नानीसा आप हो खास, रहते दिल के पास !!

दया मन में अपरम्पार, अपना हो या पराया,
इंसान तो इंसान, पशु पक्षियों को भी खिलाया!
कोइ याद रखे या भूले, आई न मन में खटास,
नानीसा आप हो खास, रहते दिल के पास !!

"हिन्नी, मेरी सोने की गिन्नी" यूं मुझे बुलाया,
प्यार से या डाँट में, जीवन का  पाठ पढ़ाया,
उम्मीदों पे खरी उतरु, रहता यही प्रयास,
नानीसा आप हो खास, रहते दिल के पास !!

निस्वार्थ जीवन, जिसमें सम्पूर्ण सादगी,
अपेक्षा न किसी से, आप अति आत्मत्यागी !
सदा सुहाता सिर्फ सादा सूती कपास,
नानीसा आप हो खास, रहते दिल के पास !!

कठीन आईं घड़ियाँ, शरीर ने दिया न साथ,
कठोर जीवन परीक्षा, लाल छोड़ गया हाथ!
धर्म पे बना रहा, फिर भी आपका अटूट विशवास!
नानीसा आप हो खास, रहते दिल के पास !!

अनमोल हैं आपके साथ बीता हर क्षण,
प्रेरणा आपका आचरण, करना चाहूँ अनुसरण!
सदा रहूं आपकी शरण, रहती है ये आस!
नानीसा आप हो खास, रहते दिल के पास !!

February 19, 2018

संस्मरण : मेरे गुरु, मेरे संरक्षक!

श्री युगल जी साहब युगल एक युग पुरुष हैं । युग पुरुष युगातीत, कालातीत एवं चिर स्मृत होते हैं ।

            मैं 18 वर्ष की उम्र में उनके संपर्क में आया और उनके प्रवचन सुने ।एक विज्ञान का विद्यार्थी होने के नाते मैं स्वभाव से जिज्ञासु एवं साधारणतया प्रभावित नहीं होने की मनःस्थिति का युवक था ।
बाबू जी के मुखारविंद से खिरने वाली वाणी की छटा अनुपम थी। एक एक शब्द स्पष्ट धार दार, पत्थर की लकीर की भांति प्रतीत होता था ,जो  प्रमाणित रूप से  प्रतीत कराता था कि यह अत्यंत सहज, स्वाभाविक और शाश्वत सत्य है। स्व -पर का प्रज्ञा छीनी से भेदकर *स्व* में निर्विकल्प स्थित होना, जहां  *मैं* का स्थान भी न हो, ऐसे अलौकिक अनुभव को वे इतना ही सहज बनाकर अभिव्यक्त करते थे ।

             उस समय मेरे मन में यह संशय हुआ कि संसार की यात्रा विभिन्न विविधता वाली और लंबी होती है ।जो श्रद्धा अनुभूति और ज्ञान बाबू जी के सानिध्य में प्राप्त हो रहा है, वह कालांतर में  विस्मृत तो नही हो जाएगा। लेकिन इसके साथ ही यह विचार भी तुरंत और सहज रुप से आ गया कि जब तक संसार है तब तक दुःख निश्चित है और यही दुःख आपको स्वाभाविक ही आत्म स्वरूप की ओर पल-पल स्मृत कराएगा ।तभी विश्वास हो गया कि एक अपूर्व ,अमूल्य और शाश्वत लब्धि आपके हाथ लग गई है ।देवगुरु शास्त्र का आलंबन और विकल्प भी   अस्थाई  है और अंततोगत्वा त्याज्य है ।ऐसा प्रतीत हुआ कि इस संसार रूपी महासमुद्र में आप अकेले हो जाने पर भी अकेले नहीं होंगे।

            मैं उनके आत्मज्ञान और स्वानुभूति से अत्यंत प्रभावित था। वे निर्विवाद कवि हृदय सम्राट थे ।
उनकी जेष्ठ पुत्री की शादी में मैं उपस्थित था ।बेटी की विदाई पर उन्हें अत्यंत भावुक होते हुए जब मैंने देखा तो मुझे असमंजसता वश कुछ समझ नहीं आया। इतने ज्ञानी, मर्मज्ञ, संसार को तार तार कर स्पष्ट विदित कराने वाले मनीषी की आंखों में आंसू ! लेकिन समाधान में भी अधिक विलंब नहीं हुआ।जो भावुक नहीं, द्रवित नहीं,करुणा मय नहीं, वह कवि भी नहीं बन सकता है। जब मेरी माता श्री का निधन हुआ और कालांतर में जब मेरी पुत्री की विदाई हुई तब मुझे इस बात का स्वंय अनुभव हुआ।

           मैं जिला कलैक्टर बारां  के पद पर कार्यरत था।तब मुझे ज्ञात हुआ कि इस जिले में ही वह गांव स्थित है, जो बाबू जी की जन्म स्थली है।जब मैं उस मकान में पहुंचा, जहाँ यह महान आत्मा अवतरित हुई थी, तो मुझे एक प्रकार की अप्रतिम और अलौकिक अनुभूति हुई।मुझे लगा कि मुझे सही, सहज और शाश्वत मार्ग पर प्रशस्त कराने वाले मेरे कर्णधार, मेरे गुरु और मेरे संरक्षक की जन्म स्थली पर मेरे आने की परिणिति और परिणमन एक अनूठा अस्वभाविक संयोग नहीं है।


पूज्य बाबू जी की पुण्य स्मृति को मेरा शतः शतः नमन् ।


रमेश कुमार जैन सेवानिवृत IAS 


February 4, 2018

Their Chemistry Remain Mystery!


Double giggles, Double grins,
Double is the fortune with the twins!
This unique Jodi is abundant treasury,
Their chemistry though remain mystery!! 

Full of life, showering on others,
Continuously flow like twin rivers!
One with serenity of lake,
Vibrancy of waterfall in other,
Both mix like water in every sea!
Their chemistry beautifully remain mystery!! 

No matter what they dine,
Keep their body fit and fine!
One would swim, work out in Gym,
Mastering yoga makes other shine!!
Neither can resist chaat, puchke, bhelpuri.
Their chemistry exotically remain mystery!!

Beautiful mind in beautiful body,
All spellbound with their beauty!
One embraces the western world,
Other, clad with ethnic accessory!
Stunning always, dressed gold or silvery,
Their chemistry strikingly remain mystery!!

Dance no less than Madhuri,
Experts in the world of culinary!
                        Creativity flowing in one’s paintings,
Other glowing as corporate secretary!!
All talents so extraordinary!
Their chemistry astonishingly remains mystery!!

These hummingbirds juggle a million,
work with endless energy!
Outspoken is one like parrot's profile
Other hides pain with a dove smile!
Chirping non-stop like birds on a tree!
Their chemistry merrily remain mystery!!


Unbound love wrapped in gifts,
Masiya gets everything on wishlist!
None can beat this amazing tayiji,
perfect mami like her is rare to exist!
All actions are reflections so motherly,
Their chemistry is mystery, so lovingly!!

They enthuse every acquaintance,
Effuse in air like sweet fragrance!
While one flows with the flow,
Profound concern in other’s dominance!
Their presence in any group is so necessary,
Their chemistry miraculously remain mystery!! 


Putting others first without grimace,
Enjoy every day like holiday!
Her vishal heart encompasses universe,
Unselfish offerings in her sudhir way!
Together with them life is a victory!
Their chemistry amazingly remain mystery!!

Most loving and caring sisters,
It’s pride to call them mine!
My heart melts for them,
They are purely divine!
These twincess are like angels from God,
precious gems of family ring!
Abundant blessings is my wish,
like splendid fortune they bring!
No evil spirit shall ever be in their territory!
Their chemistry may just remain mystery!!