Wanna know

April 5, 2021

अकेला कैसे कर आया ?

जिस माँझी ने कश्ती मेरी कभी ना छोड़ी,

बीच भँवर उन्हें कैसे छोड़ आया? 

था खुद से वादा, रत्ती तकलीफ़ ना होने दूँगा, 

फिर दर्द में अकेला कैसे कर आया ? 


सीखा उन्हीं से अंत तक दृढता से लड़ना,

हार से पहले फिर कैसे हार मान आया?

उम्मीद भरी निगाहें, तरसी होंगी इंतज़ार में,

आख़िरी साँस, मेरी एक झलक की आस में।


निर्दयी नियति ने कैसा जाल बिछाया,

बांध बेड़ियाँ हालात से मजबूर बनाया

है बोझ दिल पे, कैसे करूँ खुद को माफ़ 

काँपती है रूह , धड़कने रुक जाएँ काश!


जाना है सभी को, अमर नहीं कोई,

पर यूँ ना हो किसी की अधूरी विदाई! 

एक बार जो वो वक्त लौटा दे मेरे देवता,

तस्सल्ली करूँ कि आख़िरी मुस्कुराहट दे पाया !

No comments:

Post a Comment